शुक्रवार, 18 नवंबर 2011


प्यार की सुगंध


प्यार की सुगंध से आदमी को देह मिली
बौराये अम्बुआ के मधुवन सा महक गया
खुल गया फूल और खिल गई कली-कली


 प्यार के अनेक रूप
 सत्य शिव सुंदर है
 सागर की गहराई
 सपनों का अम्बर है
 मंदिर में पूजा है
 प्यार ही पैगम्बर है


प्यार एक सतरंगी बुना हुआ बाना सा
जो भी रंग चाहोगे वही दीख जायेगा
किन्तु सबके देखने का अपना अंदाज़ है
इसीलिए बना हुआ प्यार एक राज़ है


 माणिक नहीं मोती नहीं
 ये तो केवल काँच का छोटा सा टुकड़ा है
 काँच के टुकड़े का जादू बस इतना है
 जैसे तुम होते हो वैसे ही दिखना है


  इसीलिए सच है प्यार एक दर्पण है
  अपना ही अपने को होता समर्पण है


प्यार एक दर्पण है














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