बुधवार, 6 जून 2012

कितना भी भीगे मन बरसाती यादों से

आँखों की प्याली में आंसू मत घोलना

कितना भी घबराए केदी मन पिंजरे में
...
उड़ने से पहले निज पंखों को तोलना

अँधियारा गहराए कोई ना नियराये

संचित सब सुधियों की गठरी को खोलना

मीठी सौगंधों की मोह डोर काटकर

मन के बंजारे से मुक्ति मंत्र बोलना
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· · 21 minutes ago ·