जीवन भर रिश्ते बनते हैं
रिश्तों में जो जीवन भर दे
ऐसा कोई नहीं मिला
बाल सुलभ सपनों के द्वारा
मैंने भी आकाश छुआ था
सम्बन्धों की हार जीत में
जाना जीवन एक जुआ था
जो रोता बचपन बहला दे
चाँद खिलौना को घर ला दे
ऐसा कोई नहीं मिला
मिलकर जो गुलाब रोपा था
काँटों का समुदाय हो गया
हँसी खुशी जो मन सोपा था
पीड़ा का परियाय हो गया
प्रणय गंध की वो कस्तूरी
प्राणों में भर लेता पूरी
ऐसा कोई नहीं मिला
हो निषेध या नेह निमंत्रण
सब सहर्ष स्वीकार्य हो गया
ऐसे भी अवसर आये हैं
चुप रहना अनिवार्य हो गया
आँखों की भाषा पद लेता
पत्थर में प्रतिमा गद देता
ऐसा कॊई नहीं मिला
मौन हुआ मुखरित वाणी में
शब्द शब्द अध्याय हो गया
अर्थ सभी के अलग अलग थे
किन्तु एक अभिप्राय हो गया
जो संवाद बिना मन तोले
अनुबंधों की गिरह टटोले
ऐसा कोई नहीं मिला
जीवन भर रिश्ते बनते हैं
जो रिश्तों में जीवन भर दे
ऐसा कोई नहीं मिला