मेरे मन बौना मत होना


मेरे मन बौना मत होना


मेरे मन बौना मत होना
अपने कद पर कायम रहना
मेरे मन बौना मत होना
मेरे मन बौना मत होना



रहना उस आँगन में जाकर
नित्य जहाँ बचपन हो खेला
अरमानों की आयु बढ़ी हो
सपनों का लगता हो मेला


दुख को पवन उड़ा ले जाये
मंगल देहरी-द्वार सजाये
तुलसी दल का मिले प्रसादम
रोज़ सुहागन दिया जलाये


मत जना उस ठौर जहाँ पर
दीवारों तक में रंजिश हो
चुप रहने की मजबूरी हो
हँसने रोने पर बंदिशें हों


कितना भी आकार मिले तुम
निर्वासित कोना मत होना
मेरे मन बौना मत होना
मेरे मन बौना मत होना


उड़ना तुम उन्मुक्त गगन में
दसों दिशाओं के संग रहना
छूना पर्वत की ऊँचाई
धरती की बाँहों में रहना


सूरज के रथ पर चढ़ आना
चंदा के संग लोरी गाना
संध्या के झुरमुट में छिप कर
जुगनू बन प्रकाश फैलाना


बनकर के विश्वास अटल तुम
अपने पथ पर चलते रहना
कपट न करना छल से बचना
मर्यादित सीमा में रहना


सीता के प्रिय राम छुड़ाये
ऐसे मृगछौना मत होना
मेरे मन बौना मत होना
मेरे मन बौना मत होना