जाती हुई हर
जाती हुई हर वर्ष को
कैसे कहें हम अलविदा
बोझिल हुए मन कुछ बता
कैसे कहें हम अलविदा
गुज़रा हुआ लम्हा कोई
फिर लौटकर आता नहीं
क्या क्या लिया क्या खो दिया
अहसास मर जाता कहीं
याद है उंगली पकड़ कर
उम्र का सोपान चढ़ना
बिन कहे सब कुछ बताकर
मौन में गुरु-ज्ञान गढ़ना
तुम बनी साक्षी मेरी संवेदना की
जब कभी अनुभूति ने मुझ को रुलाया
सांतवना के शब्द तुमने ही कहे थे
गोद में लेकर मुझे तुमने सुलाया
हैं सभी सुधियाँ सुरक्षित
याद आओगी सदा
कैसे कहें हम अलविदा
हों भले रिश्ते अनेकों
समय सा साथी न कोई
बाँच ले पीड़ा पढे बिन
अश्रु ने जब आँख धोई
आयेगा सो जायेगा भी
ये सफ़र का सिलसिला है
कौन ठहरा है यहाँ पर
अनवरत चलना मिला है
लिख लिया हमने बहुत कुछ
ज़िंदगी की डायरी में
है नहीं मुमकिन सुनाना
महफ़िलों में शायरी में
आज के अंतिम क्षणों में
तुम हमें आशीष देना
और जो अब तक दिया है
याद रखेंगे सदा
तुम क्षमा करना अगर
हमसे हुई कोई खता
बोझिल छुपे मन कुछ बता
कैसे कहें हम अलविदा