प्यार की सुगंध
प्यार की सुगंध से आदमी को देह मिली
बौराये अम्बुआ के मधुवन सा महक गया
खुल गया फूल और खिल गई कली-कली
प्यार के अनेक रूप
सत्य शिव सुंदर है
सागर की गहराई
सपनों का अम्बर है
मंदिर में पूजा है
प्यार ही पैगम्बर है
प्यार एक सतरंगी बुना हुआ बाना सा
जो भी रंग चाहोगे वही दीख जायेगा
किन्तु सबके देखने का अपना अंदाज़ है
इसीलिए बना हुआ प्यार एक राज़ है
माणिक नहीं मोती नहीं
ये तो केवल काँच का छोटा सा टुकड़ा है
काँच के टुकड़े का जादू बस इतना है
जैसे तुम होते हो वैसे ही दिखना है
इसीलिए सच है प्यार एक दर्पण है
अपना ही अपने को होता समर्पण है
प्यार एक दर्पण है
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