सोमवार, 12 दिसंबर 2011







एक टूटा मन बचा है


दे दिया तुम को सभी कुछ
पास जो भी था हमारे
अब तुम्हें देने अकेला
एक टूटा मन बचा है
आँख में अटका हुआ सा
अकिंचन जल-कण बचा है।


नींद को आँचल उढ़ाने
आ गई सुधियाँ सिरहाने
जो न सम्भव देखपाना
देख सपनों के बहाने
याद करने के लिए शिशु-सा सरल बचपन बचा है
  और टूटा मन बचा है


व्यर्थ ही देखा किये हम
छल भरे सपने सजीले
आँसुओं में डूबकर
होते रहे सब दृश्य गीले
जो नहीं मोहताज मौसम का वही सावन बचा है

 और टूटा मन बचा है


अनगिनत संकल्प सूची में
कभी संचित किये थे
अनवरत होती  उपेक्षा से
वही वंचित हु ये थे
खोलता अनुबंध की गाँठें बँधा बंधन बचा है
  और टूटा मन बचा है


जो नहीं मिलता उसे हम
खोजते कब तक रहे
सत्य को स्वीकार समझौता
समय से हम करें
चितवनों में तैरता सा एक सूनापन बचा है
  और टूटा मन बचा है


दे दिया तुम को सभी कुछ
पास जो भी था हमारे
अब तुम्हें देने अकेला
एक टूटा मन बचा है
आँख में अटका हुआ सा
अकिंचन जल-कण बचा है।

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