गुरुवार, 29 दिसंबर 2011


जाती हुई हर



जाती हुई हर वर्ष को

कैसे कहें हम अलविदा

बोझिल हुए मन कुछ बता

कैसे कहें हम अलविदा



गुज़रा हुआ लम्हा कोई

फिर लौटकर आता नहीं

क्या क्या लिया क्या खो दिया

अहसास मर जाता कहीं



याद है उंगली पकड़ कर

उम्र का सोपान चढ़ना

बिन कहे सब कुछ बताकर

मौन में गुरु-ज्ञान गढ़ना



तुम बनी साक्षी मेरी संवेदना की

जब कभी अनुभूति ने मुझ को रुलाया

सांतवना के शब्द तुमने ही कहे थे

गोद में लेकर मुझे तुमने सुलाया



हैं सभी सुधियाँ सुरक्षित

याद आओगी सदा

कैसे कहें हम अलविदा



हों भले रिश्ते अनेकों

समय सा साथी न कोई

बाँच ले पीड़ा पढे बिन

अश्रु ने जब आँख धोई



आयेगा सो जायेगा भी

ये सफ़र का सिलसिला है

कौन ठहरा है यहाँ पर

अनवरत चलना मिला है



लिख लिया हमने बहुत कुछ

ज़िंदगी की डायरी में

है नहीं मुमकिन सुनाना

महफ़िलों में शायरी में



आज के अंतिम क्षणों में

तुम हमें आशीष देना

और जो अब तक दिया है

याद रखेंगे सदा



तुम क्षमा करना अगर

हमसे हुई कोई खता

बोझिल छुपे मन कुछ बता

कैसे कहें हम अलविदा











2 टिप्‍पणियां:

  1. the kavitayaan are of high order at once revealing the kavayatri's imagination, creativity,depth and her unerring interface with reality. kaise kahun alwida
    csrao

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  2. अंतिम क्षण में आशीष, स्मृति और क्षमा का संकेत मुग्ध करता है.

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