आज ठंडक है हवाओं मे
हवायें मेघ की गगरी
उठाकर चल पड़ी है
अब न हम प्यासे रहेंगे
इस धरा पर
तृप्ति की सम्भावना के घर
कोई खिड़की खुली है
जिंदगी की भाषा का व्याकरण प्यार है
मन संज्ञा तन क्रिया करता करतार है
आचरण विशेषण है कर्म ही विस्तार है
इन्हीं पाँच तत्वों का समीकरण प्यार है
हृदय को पत्थर बनाकर समय ने जो लिख दिया है
हम जले तो भी मिलेगी राख में लिपटी कहानी
रेत पर लिखा गया यह उंगलियों का भ्रम नहीं है
जो हवा के पास आते ही मिटा दे सब निशानी
पहले मुक्तक में निहित कवित्व ने रोमांचित कर दिया.
जवाब देंहटाएंप्रणाम.
आचरण विशेषण है कर्म ही विस्तार है... बहुत सुंदर॥
जवाब देंहटाएंजिंदगी की भाषा का व्याकरण प्यार है
जवाब देंहटाएंमन संज्ञा तन क्रिया करता करतार है
आचरण विशेषण है कर्म ही विस्तार है
इन्हीं पाँच तत्वों का समीकरण प्यार है
अति सुन्दर ....