शब्दम्
कवयित्री विनीता शर्मा का ब्लॉग
शुक्रवार, 20 जनवरी 2012
ऋषभ उवाच: गुलज़ार : गुफ़्तगू के दौरान
ऋषभ उवाच: गुलज़ार : गुफ़्तगू के दौरान
आमने सामने बैटकर गुलजार साहब को सुनना जीवन का स्मरणीय पल खुली आँख का सपना
1 टिप्पणी:
चंद्रमौलेश्वर प्रसाद
20 जनवरी 2012 को 9:01 am बजे
वो खुशनसीब है जिसने इस गुफ़्तगू का आनंद लिया॥
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वो खुशनसीब है जिसने इस गुफ़्तगू का आनंद लिया॥
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