अतीत करवट ले रहा है
याद की तीली जलाई है किसी ने
एक भूले गीत सा अतीत करवट ले रहा है
एक दिन था जब धरा पर
बूँद भर पानी नहीं था
बादलों की बेरुखी थी
मेघ भी दानी नहीं था
ले गई सावन उड़ा कर
सिरफिरी सी वे हवायें
क्या पता किसको खबर
फिर लौटकर आयें न आयें
आँख के आँसू हमारे ले लिए सब
प्यास को आवाज़ पनघट दे रहा है
अतीत करवट ले रहा है
मुद्दतें गुज़री हुआ दुश्वार
जीना इस जहां में
मंज़िलों को खोजने
शामिल हुए हम कारवाँ में
थक गये जब चलते चलते
ज़िंदगी के इस सफ़र में
हो गए घूमिल हमारे
पदनिशाँ जो थे डगर में
और जीने की दुआ मांगी नहीं थी
क्यों मुझे यह आज मरघट दे रहा है
अतीत करवट ले रहा है
टूट कर सपना अधूरा, उन
प्रसंगों से कभी जुड़ता नहीं है
समय है गतिमान आगे बढ़ गया
तो लौटकर मुड़ता नहीं है
हो सुरक्षित लौ सदा
चाहे कोई तूफ़ान आये
प्यार के कंदील की ये
रोशनी बुझने न पाये
याद की तीली जलाई है किसी ने
एक भूले गीत सा अतीत करवट ले रहा है