शुक्रवार, 1 अगस्त 2014

खेलते रहे 
आँखों के आँगन में 
मीठे सपने 

जाना था मैने 
उठते हैं दो हाथ 
दुआ के लिए 

क्रोध क्या है 
मोह से उत्पन्न 
स्थायी भाव 

हवा से डरे 
गुलमोहर झरे 
रक्त  भरे 

विनीता  शर्मा 

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