कितना भी भीगे मन बरसाती यादों से
आँखों की प्याली में आंसू मत घोलना
कितना भी घबराए केदी मन पिंजरे में
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उड़ने से पहले निज पंखों को तोलना
अँधियारा गहराए कोई ना नियराये
संचित सब सुधियों की गठरी को खोलना
मीठी सौगंधों की मोह डोर काटकर
मन के बंजारे से मुक्ति मंत्र बोलनाSee More